नई दिल्ली। देश के हालात इतने खराब होते जा रहे हैं कि कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए और अपने कामों का भुगतान चाहने के लिए भी मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है। और ऐसे हाल उन कंपनियों के भी हैं जो इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदा देने के मामले में भी सबसे आगे हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए भाजपा को मोटा चंदा देने वाली हैदराबाद की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा स्ट्रक्चर के खिलाफ सीबीआई ने रिश्वतखोरी का केस दर्ज किया है। मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा स्ट्रक्चर चुनावी बॉन्ड के जरिए मोटा चंदा देने वालों में दूसरे नंबर पर थी।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के मुताबिक एनआईएसपी व एनएसडीसी के आठ अफसरों समेत मेकॉन लिमिटेड के दो अधिकारियों ने जगदलपुर इस्पात संयंत्र से जुड़े कार्य के लिए मेघा इंजीनियरिंग के 174 करोड़ रुपए के बिल पास करने के बदले 78 लाख की घूस ली थी।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने आरोप लगाया कि मोदी राज में घूसखोरी कम होने की बजाय कॉरपोरेट कल्चर का रूप धारण कर चुकी है। इसकी आग में बड़ी छोटी सभी कम्पनियां जल रही हैं। पहले टेंडर पाने के लिए भुगतान करना पड़ता है, फिर काम शुरू करने से लेकर खत्म करने तक हर स्तर पर भुगतान के बाद ही कम्पनियों को कुछ मिल पाता है। इसमें बड़ी छोटी सभी कम्पनियां शामिल हैं। उत्तराखण्ड में भी ऐसा कल्चर विकसित हो गया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।