देहरादून। कल कांग्रेस के बड़े नेता हरक सिंह रावत की बहु अनुकृति गुसाईं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। यद्यपि लोकसभा चुनावों में उत्तराखण्ड में मतदान खत्म हो चुका है, मगर उसके बाद भी विवादास्पद नेताओं का भाजपा की सदस्यता लेना जारी है।
दरअसल, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में हुए बड़े घोटाले को भाजपा सरकार द्वारा भी लाख छिपाने की कोशिश करने के बावजूद हाई कोर्ट में इस बात की पुष्टि हो गई कि पाखरो रेंज में एक दो नहीं पूरे छह हजार पेड़ अवैध रूप से काटे गए हैं, और अवैध निर्माण किया गया है। किसी राष्ट्रीय अभ्यारण की सबसे प्रतिबंधित मानी जाने वाली जगह पर एक दो नहीं छह हजार पेड़ों का कटान एवम रिजर्व फॉरेस्ट से उसकी निकासी बताती है कि महीनों चले इस अवैध काम में एक बड़ा प्रभावशाली तंत्र शामिल था, इसी लिए हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश कर दिए थे।
कहने को तो इस घपले के खुलने पर विजिलेंस जॉच कर रही थी, मगर महीनों जॉच के बाद जब भाजपा सरकार को भी समझ आ गया कि हाई कोर्ट कोई विपरीत फैसला दे सकता है, तो दिखाने के लिए हरक सिंह के परिवार वालों के कॉलेज से कुछ दस्तावेज और पेट्रोल पंप से वन विभाग का एक जनरेटर उठा लाई। भ्रष्टाचार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता कि लाखों रुपयों का भारी भरकम जनरेटर जो वन विभाग ने खरीदा था, उसे हरक सिंह का परिवार निजी संपत्ति के रूप में इस्तेमाल कर रहा था, और मामला खुलने के बावजूद किसी भी जिम्मेदार के खिलाफ भाजपा ने कोई कार्यवाही नहीं की।
अनुकृति गुसाईं के एनजीओ पर भी भारी भरकम हेराफेरी का आरोप है। कुछ सूत्र बताते हैं कि युवाओं को रोजगार सिखाने के नाम पर केंद्र सरकार से एनजीओ ने पैसा लिया और कार्यालय जिला पंचायत ने बनाया।
ऐसे ही श्रीनगर से नगर पालिका अध्यक्ष पूनम तिवारी ने मय परिवार कांग्रेस छोड़ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। उनके तथाकथित क्रेशर पर हेराफेरी के आरोप में चार करोड़ रुपयों का जुर्माना विभाग ने लगाया है। जिला पंचायत अध्यक्ष रेणु गंगवार पर भाजपा ही घोटालों का आरोप लगा रही थी, और अनुकृति के साथ साथ रेणु गंगवार परिवार भाजपा में शामिल हो गया है। ऐसे में भाजपा ने खुद जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, उन्हें अपने सर माथे बैठाने पर क्या भ्रष्टाचार के आरोपों की गंध भाजपा के सर के ऊपर से नहीं उठेगी!
और अब भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद ईडी और सीबीआई अगर इनसे पूछताछ और कार्यवाही नहीं करती है, तो साफ हो जाएगा कि दूसरे की गंध का टोकरा अपने सर पर उठा कर घूमने में भाजपा को कोई परहेज नहीं है।