निदेशक खनन का निलंबित होना अवैध खनन की शासकीय संरक्षण की पोल खोलता है, मामले की हो सीबीआई जाँच: जोशी

कोटद्वार। खनन के खेल में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत सामने आने एक कथित फर्जी अपहरण की एफआईआर दर्ज कराने के बाद निदेशक को नोटिस देकर निलंबित किए जाने से मोदी धामी डबल इंजन सरकार की कारगुजारियाँ सार्वजनिक होने लगी हैं। पहले दबी जुबान ही शासन की खनन कारोबारियों से मिलीभगत और उत्तराखण्ड सरकार को करोड़ों रुपयों का नुकसान की बातें कही जाती थी, मगर अब पैसे की अँधी दौड़ में होने वाले झगड़ों ने खनन के अवैध खेल में सरकारी संलिप्तता को जनता के सामने आईने की तरह खोल दिया है।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने आरोप लगाया कि त्रिवेंद्र रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में खनन के नाम पर नदियों का सीना खुले आम चीर देने और अवैध खनन का विरोध करने वालों पर गोली चलाने से लेकर झूठे मुकदमें दर्ज करवा कर अवैध खनन को खुले आम शासकीय प्रश्रय देने की प्रथा शुरू हुई। जिससे खनन माफियाओं के हौसले बहुत बढ़ गए थे, उसी बड़े हौसले के क्रम में धामी राज में खनन के कारोबार में लिप्त ओम प्रकाश तिवारी और खनन  निदेशक पैट्रिक का विवाद सामने आया। पैट्रिक द्वारा ओम प्रकाश से मुलाकात एक अपर सचिव द्वारा करवाई गई बताता गया, मगर पैट्रिक द्वारा उक्त अपर सचिव का नाम नहीं बताया गया। 

उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि मामला बेहद संगीन है, और खनन के अवैध कारोबार में लिप्त नेता और अधिकारी बेनकाब होने चाहिए, लिहाजा इस पूरे प्रकरण की जॉच सीबीआई को सौंप देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अवैध खनन पर अंकुश लगाने का यह सही समय है, प्रकरण में लिप्त हाई प्रोफाइल लोगों के जेल जाते ही अवैध खनन मामलों में बाहरी लोगों का अवैध हस्तक्षेप स्वत: ही बंद हो जायेगा।

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