जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन विदाई भाषण में कई ऐसी बातें कहीं जिसकी अब खूब चर्चा हो रही है। अपने बात सबके सामने रखते हुए जज साहब ने कहा कि उनके दुश्मन बहुत हैं, लेकिन उन्हें इस बात पर गर्व है। उन्होंने यह भी कहा कि वह संविधान के प्रति जवाबदेह हैं किसी व्यक्ति के प्रति नहीं।
चीफ जस्टिस रवि मलिमथ ने आगे कहा, ‘वे कभी मेरी उपलब्धियों का मुकाबला नहीं कर पाएंगे, चाहें जितनी भी कोशिश कर लें। मैं इस पड़ाव पर बहुत कुछ कह सकता हूँ, मैं नाम दे सकता हूँ जो अखबारों में सुर्खियां बन सकती हैं। मेरे विरोधी भी चिंतित होंगे और घबराहट के साथ देख रहे होंगे कि मैं फेयरवेल स्पीच में क्या कहता हूँ।’ उन्होंने आगे कहा कि नैतिक दिवालिया, पतित और बेईमान लोग चर्चा के लायक नहीं हैं। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘निश्चित तौर पर वे मेरे समय लायक नहीं हैं। मैंने संविधान की सेवा की। मैंने अपनी कीमत पर भी सही चीज करने का फैसला किया, क्योंकि यह एक जज से अपेक्षा की जाती है।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे चीफ जस्टिस बनाने के लिए कर्नाटक से उत्तराखण्ड मेरा ट्रांसफर किया गया, लेकिन चीफ जस्टिस नहीं बनाया गया। फिर मुझे उत्तराखण्ड से हिमाचल भेजा गया। लेकिन वहां भी नहीं बनाया गया। तब मुझे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस बनाया गया। ट्रांसफर मुझे संभवतः परेशान करने के लिए किए गए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’
चीफ जस्टिस रवि मलिमथ ने कहा कि उन्होंने कोर्ट को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की इच्छा रखने वाले 9 या 90 लोगों की बजाय मध्य प्रदेश की 9 करोड़ जनता की सेवा का फैसला किया।
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘मेरे कार्यकाल के दौरान कई लोगों ने कोर्ट के कामगाज को प्रभावित करने की कोशिश की। मैंने हर किसी को इससे दूर रखा। केवल और केवल संस्थान के लिए।’
चीफ जस्टिसमलिमथ ने अपनी उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में 65,600 केसों का निपटारा किया। उन्होंने कहा, ‘यह किसी भी जज या चीफ जस्टिस की ओर से किए गए निपटारों में संभवतः सबसे अधिक केसों में है।’
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि जस्टिस राजीव शर्मा और चीफ जस्टिस रवि मलिमथ अपने न्यायप्रिय फैसलों के लिए उत्तराखण्ड के कानूनी संभाग में हमेशा याद किये जाते रहेंगे।