लैंसडौन, रानीखेत समेत पहाड़ के कई शहरों में पानी के लिए लगी लम्बी लाइनें, मोदी सरकार का ध्यान केवल प्रचार पर: उविपा

रानीखेत/लैंसडौन। अंग्रेजों ने देश को गुलाम बनाया जरूर, मगर उनके द्वारा विकसित की गई धरोहरों को हम संभाल कर भी नहीं रख पा रहे हैं। पुराने जमाने में जब आज के मोदीमय युग से उस युग की तुलना की जाय, तो वह युग एक बेहद सीमित संसाधनों वाला था, मगर उन सीमित संसाधनों में अंग्रेजों ने प्रदेश को नैनीताल, रानीखेत, लैंसडौन और मसूरी जैसे शानदार शहर दिये। आज तक स्मार्ट सिटी के विज्ञापन में करोड़ों खर्च करने वाले ऐसे बेहतरीन चार शहरों के मुक़ाबिल कोई शहर आज भी नहीं बसा सके हैं। नये शहर बसाना तो दूर इन शहरों में गर्मी में पानी की किल्लत से निजात नहीं दिलवा सके हैं।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि हर घर नल हर घर जल का प्रचार करने की बजाय जिन घरों में पहले से ही नल हैं, पानी तक उपलब्ध नहीं करवा पा रही है मोदी धामी डबल इंजन की सरकार।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने आरोप लगाया कि रानीखेत, लैंसडौन समेत पहाड़ की पर्यटन नगरियों में पानी की समस्या विकराल बनी हुई है। उन्होंने कहा कि मोदी धामी डबल इंजन सरकार को आम नागरिकों की वाकई चिंता होती तो सबसे पहले जिन घरों में पहले से ही नल लगे हुए हैं, उन घरों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करवाती, मगर मोदी सरकार को जनता की दुश्वारियों से ज्यादा अपने प्रचार प्रसार की चिंता है, इस लिए हर घर नल हर घर जल का प्रचार प्रसार पर जोर है, और आम आदमी आज भी पानी के लिए लाइन लगाने पर मजबूर है।

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