नई दिल्ली। भारत में जनरल इलेक्शन्स यानी आम चुनाव संपन्न हो गये। जनता ने जिस तरह विभिन्नता से मतदान किया उसने सभी चुनाव विश्लेषकों को चौंका दिया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह हुई कि एग्जिट पोल के नतीजों के अनुमान से भाजपा अकेले 300 पार कर रही थी और सहयोगियों के साथ 400 पार, मगर नतीजे आने पर भाजपा और सहयोगियों को मायूस होना पड़ा क्योंकि अकेले भाजपा को पूर्ण बहुमत भी प्राप्त नहीं हुआ और उसे 240 सीटों से संतोष करना पड़ा।
एक ओर पूर्ण बहुमत न मिलने के बावजूद भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, तो दूसरी ओर कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी पार न कर सकी और 99 सीटों पर जाकर अटक गई।
आम चुनाव का सबसे बड़ा उलट फेर उत्तर प्रदेश में देखने को मिला, जहाँ समाजवादी पार्टी 37 सीटें लाकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, तो लगभग खत्म होती कांग्रेस को भी 06 सीटें मिलने में कामयाबी हासिल हुई। भाजपा को इसबार 33 सीटों से ही संतोष करना पड़ा और भाजपा की सहयोगी रालोद को 02 और अपना दल (सोनेलाल) को 01 सीट ही सीटें मिल सकी। आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर उर्फ रावण ने नगीना सीट हासिल करने में कामयाबी पाई। अपनी होम पिच पर ही बहुजन समाज पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया। पिछली लोकसभा चुनावों में दस सीटें लाने वाली बसपा इस बार खाता खोलने में भी नाकामयाब रही। बसपा के टिकट बांटने और काटने के तरीके ने उसे आमजन में भाजपा की बी टीम जैसा बना दिया था, जिस वजह से खुद बसपा का वोट बैंक इस बार छिटक गया।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार यूपी का सामाजिक समीकरण बांध पाने में कामयाब रहे, साथ ही सहयोगियों को साथ लेकर चलने में उन्होंने टीएमसी को भी एक लोकसभा क्षेत्र की सीट चुनाव लडने के लिए दी। अखिलेश के चुनावी प्रबंधन ने यूपी के जातिगत आधार पर राजनीति कर कभी इधर तो कभी उधर वालों का सूपड़ा साफ कर दिया। केवल अपना दल की अनुप्रिया पटेल अपनी सीट जीत पाने में कामयाब हुई।
इस चुनाव में अयोध्या से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार लल्लू सिंह भगवान राम की नगरी अयोध्या (फैजाबाद लोकसभा सीट) से चुनाव हार गये। उन्हें समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने 54556 वोटों से हराया।