कोटद्वार। मोदी राज में पुल टूटने की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है। मोदी राज में लगातार बढ़ रहे भ्रष्टाचार की पोल एकमात्र बरसात का मौसम खोल देता है। इस बरसात में बिहार से लेकर उत्तराखण्ड तक धड़ाधड़ पुल टूटने की घटनाओं में असामान्य रूप से इजाफा हुआ है। उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने आरोप लगाया कि मोदी राज में जैसे जैसे भ्रष्टाचार बढ़ा वैसे वैसे पुलों के ढहने की प्रक्रिया शुरू होती है। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के दस वर्षों का कार्यकाल भ्रष्टाचार को नई शक्ल दे चुका है, मगर प्रकृति ऐसे भ्रष्टाचार की पोल खोल रही है, नरकोटा में गिरा सिग्नेचर ब्रिज इस बात के हस्ताक्षर हैं।
कोटद्वार में पिछली बरसात में टूटे मालण के पुल के बनने के इंतजार में पूरा एक साल बीत गया मगर पुल ठीक नहीं हो सका।
उधर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में बन रहा सिग्नेचर ब्रिज टूटने का मामला सामने आया है। नरकोटा में पुल टूटने के बाद अफरा-तफरी मच गई। इसी नरकोटा पुल पर पहले भी हादसा हो चुका है। हादसे में तब दो लोगों की मौत हो गई थी।अब फिर से पुल ढहने को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
नरकोटा 76 करोड़ की लागत से सिग्नेचर ब्रिज बनाया जा रहा था।आरसीसी कम्पनी इस सिग्नेचर ब्रिज को बनाने का काम कर रही है। ऋषिकेश बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर धारी देवी और रुद्रप्रयाग के बीच नरकोटा में सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा था।
110 मीटर की लंबाई वाले इस मोटरपुल की ऊंचाई तकरीबन 40 मीटर तक है. सिग्नेचर ब्रिज ऑल वेदर सड़क परियोजना के तहत बनाया जा रहा था। नरकोटा में एनएच के बड़े हिस्से को रेलवे ने अधिकृत किया है। जिसके बाद हाईवे के स्थान पर इस सिग्नेचर ब्रिज को बनाया जा रहा है। इस जगह पर 2020 में भी हादसा हो चुका है. जिसमें 2 मजदूरों की मौत हुई थी।
हादसे के समय कोई भी मजदूर पुल पर कार्य नहीं कर रहा था। पुल निर्माण के लिये रेल विकास निगम ने पैसा दिया है। जहां पहले बदरीनाथ हाईवे था, वहां पर रेलवे की टनल बन रही है। टनल के स्थान पर रेलवे इस पुल का निर्माण कार्य करवा रहा है।