नई दिल्ली। मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीता रमण ने संपति खरीद मामले में आम जनता को जोर का झटका धीरे से दे दिया है। पहले संपत्ति खरीद और बेचने के समय के बीच रूपये में हुए इनफ्लेशन की गणना कर तब लाभ जोड़ा जाता था, मगर वित्त मंत्री ने इनफ्लेशन के इस लाभ को हटा दिया है।
हर वित्तीय वर्ष में इनकम टैक्स विभाग इंडेक्सेशन बेनिफिट की गणना में उपयोग किए जाने के लिए एक कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (CII) प्रकाशित करता है। इसका यूज लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट की इन्फ्लेशन-एडजस्टेड कॉस्ट की गणना करने के लिए किया जाता है। टैक्सेबल कैपिटल गेन का निर्धारण करने के लिए एसेट की सेल वैल्यू से इन्फ्लेशन-एडजस्टेड एक्विजिशन कॉस्ट को हटा दिया जाता है। हालांकि, इंडेक्सेशन बेनिफिट केवल खास तरह की एसेट्स पर उपलब्ध है।सीआईआई नंबर हर साल बदलता है। प्रॉपर्टी खरीदने वाले व्यक्ति को खरीद वर्ष के हिसाब से एक नंबर मिलता है। जाहिर है कि जब प्रॉपर्टी बेची जाती है, तब भी कोई न कोई नंबर चल रहा होता है। इन्हीं नंबरों के आधार पर महंगाई को कीमत में एडजस्ट किया जाता है।
उदाहरण के लिए आपने 2014-15में एक प्रॉपर्टी एक लाख रुपये में खरीदी। तब सीआईआई 264 था। अब आपने 2020-21 में उस प्रॉपर्टी को 1.6 लाख रुपये में बेच दिया। इस साल के लिए सीआईआई नंबर 348 है। इस तरह आपको 60% का फायदा मिल गया। जिस प्राइस पर आपने बेचा, उस पर कैपिटल गेन टैक्स भी तो चुकाना होगा। अब तक 20% के हिसाब से कैपिटल गेन टैक्स लगता था, मगर यह पूरे फायदे पर नहीं लगता था। अब अगर 348 को 264 से भाग दिया जाए तो यह 1.4 गुना बनता है। इस लिहाज से जो प्रॉपर्टी आपने एक लाख रुपये में खरीदी थी, उसकी कीमत 2020-21 में 1.4 लाख रुपये होती। इस तरह आपका फायदा केवल 20 हजार रुपये का है। ऐसे में आपको 20 हजार रुपये पर 20% का कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा। इस तरह आपको केवल 4,000 रुपये का टैक्स देना पड़ता। लेकिन नए नियम के मुताबिक आपको पूरे 60 हजार रुपये पर टैक्स देना होगा। अब टैक्स को घटाकर 12.5% कर दिया गया है। इस हिसाब से आपको अपने फायदे पर 7,500 रुपये चुकाने पड़ेंगे। यानी अब आपको लगभग दोगुना पैसा टैक्स में चुकाना पड़ जाएगा।