गढ़वालियों और कुमाऊंनियों के लिए क्यों जरूरी है मूल निवास और भू कानून ?

कोटद्वार। उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने उत्तराखण्ड में मूल निवास और भू कानून लागू करने की मांग उठाई। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि मूल निवास और भू कानून उत्तराखण्ड के गढ़वाल और कुमाऊं के ग्रामीणों पर बाहरी भू माफियाओं द्वारा किए जा रहे अनावश्यक हस्तक्षेप से रोकने के लिए बेहद जरूरी है।

एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड के ग्रामीण इलाकों में बाहरी प्रदेश के लोगों द्वारा की जा रही भूमि खरीद से गढ़वाल और कुमाऊं का सामाजिक और आर्थिक ताना बाना छिन्न भिन्न हो रहा है।

एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि अंग्रेजों तक ने गढ़वाल और कुमाऊं के सामाजिक ताने बाने को बाहरी हस्तक्षेप से बचाने के लिए सन 1932 में अल्मोड़ा कमिश्नरी को रिस्ट्रिक्टेड एरिया घोषित करने की कोशिश की थी।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का तानाशाही रवैया अंग्रेजों की तानाशाही को भी फेल कर रहा है और गढ़वाली और कुमाऊनी समाज के ग्रामीण जो कि आर्थिक रूप में उतने संपन्न नहीं हैं, जितने कि बाहरी प्रदेशों के वो लोग हैं, जो यहां भूमि खरीद रहे हैं। उनका आचार व्यवहार हमारे समाज से बिलकुल विपरीत है, जो कि लगातार दोनों के बीच टकराव पैदा कर रहा है और भूमि की कीमत बढ़ने की वजह से आम ग्रामीण अपने ही गांव की जमीन खरीद पाने में असमर्थ होता जा रहा है, जिस वजह से उसे भी मजबूरन अपनी जमीन बेच कर पलायन करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि पहाड़ में पलायन को रोकने के लिए मूल निवास और भू कानून को लागू करना बेहद जरूरी है, नहीं तो अधिसंख्य गढ़वाली कुमाऊनी न घर के रहेंगे न बाहर के।

उन्होंने कहा कि सेना में जिस तरह रोजगार खत्म किया गया है, मोदी सरकार जिस तरह सरकारी नौकरियां दिन प्रति दिन खत्म कर रही है, इस व्यवस्था का सबसे बड़ा नुकसान गढ़वाल और कुमाऊं को ही उठाना पड़ेगा, इस लिए मूल निवास और भू कानून लाया जाना बेहद जरूरी हैं।

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