गढ़वाल। पौड़ी से लेकर ऊखीमठ तहसील तक स्थानीय ठेकेदारों ने धामी सरकार और लोक निर्माण मंत्री सतपाल रावत के खिलाफ नारेबाजी की और स्थानीय प्रशासन को अपना ग्यारह सूत्री मांग पत्र सौंपा।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सह सचिव और लैंसडौन ठेकेदार संघ के अध्यक्ष चंद्रेश बौंठियाल ने कहा कि मूल गढ़वाली ठेकेदार के हितों की अनदेखी करने वाली सरकार ज्यादा दिन नहीं टिकेगी। उन्होंने कहा कि खाली होते गाँवों को रोकने में अकेले ठेकेदार काफी हैं मगर उनके साथ ही रही ना इंसाफी पहाड़ के साथ कुठाराघात है, किसी भी कीमत पर बाहरी लोगों को पहाड़ में काम नहीं लेने दिया जायेगा। अगर भाजपा सरकार ने जोर जबरदस्ती की तो इसकी कीमत उसे चुनावों में चुकानी पड़ेगी।
11 सूत्रीय इस ज्ञापन में कहा गया कि प्रदेश में छोटी निविदायें निकालने एवं फेज प्रथम व द्वितीय के कार्य छोटे हिस्सों में विभक्त होकर एक साथ लगाए जाए इससे डी और सी श्रेणी के ठेकेदार ज्यादा से ज्यादा काम कर सकेंगे।
5 करोड़ तक के कार्य सिंगल बिड में लगने चाहिये एवं 10 करोड़ तक के कार्य उत्तराखण्ड मूल निवासियों को मिलना चाहिये। इसके लिए मूल निवास/स्थाई निवास को लागू किया जाना चाहिये।
निविदाओं में अतिरिक्त शर्तें लगाकर व्यक्ति विशेष को लाभ न देने, पी०सी० कार्यों में हॉट मिक्स प्लान्ट मेटेरियल व पेवर मशीन को हटाने, एवं पी०सी० कार्य पूर्व की भांति होना करने की मांग रखी गई।
ज्ञापन में लम्बे समय से लम्बित भुगतान तुरन्त करने, 2021-22 से अब तक लम्बित आपदा कार्यों व वार्षिक अनुरक्षण भुगतान, ऑफलाइन सिक्योरिटी डिपोजिट का भुगतान तुरन्त करने की मांग की गई , साथ ही पंजीकरण पूर्व की भांति सरल होना बनाने व टेक्निीकल स्टॉफ की व सोल्वेन्सी की अनिवार्यता समाप्त होने की मांग की गई, प्रत्येक ठेकेदार का स्थाई तौर पर टेक्निकल स्टॉफ नियुक्त करने की अनिवार्यता को अव्यवहारिक बताया गया।
ज्ञापन में पंजीकरण कम से कम 5 वर्ष तक वैध एवं एक प्रदेश एक नियम के तहत करने की मांग की गई है। समयावृद्धि वेरियेशन व एकस्ट्रा आईटम की प्रक्रिया पूर्व की भांति करने, ठेकेदारों के द्वारा समय से काम पूर्ण न होने पर पेनेल्टी लगाये जाने के कारण, कार्य पूर्ण होने के एक निश्चित समय पर भुगतान न होने पर ब्याज सहित भुगतान करने की मांग की गई।
ठेकेदारों के द्वारा खनन सामग्री सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त नदी स्टॉक व क्रेशर से खरीदे जाने पर पुनः रॉयल्टी न लेने की बात कही गई। एस०बी०डी० की भांति जी०पी०डब्लू0-9 के निर्णय के अधिकारी अधीक्षण अभियन्ता को होना तथा ठेकेदार के हित में क्लोस भी करने की मांग की गई। निविदा में अनुभव की सीमा को समाप्त करने की मांग की गई , आपदा कार्यों में लगी मशीन व लेबर का बीमा कवरेज एवं ठेकेदार की आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके देयक बिना अर्थदण्ड के भुगतान की मांग की गई।
प्रत्येक कार्यदायी खण्ड में ठेकेदारों के बैठने हेतु कक्ष की मांग सहित केन्द्र पोषित योजनाओं के कार्यों में अधिक से अधिक कार्य प्रदेश के स्थानीय ठेकेदारों को मिलने की मांग रखी गई।