राज्यपाल संविधान से चलें, पार्टी से नहीं, विधेयकों को लटकाए रखना अवैध : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। माननीय उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार की एक याचिका का निस्तारण कर दिया। इसमें माननीय उच्चतम  न्यायालय ने साफ़ किया कि राज्यपाल विधेयकों को लंबे समय तक रोक कर नहीं रख सकते हैं।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। पीठ ने कहा कि यह एक ज़रूरी और तुरंत निपटाए जाने वाला मामला है।

पीठ ने कहा, “ये विधेयक राज्यपाल के पास लंबे समय से लंबित थे। राज्यपाल ने सद्भावनापूर्ण तरह से काम नहीं किया।”

तमिलनाडु के राज्यपाल ने नवंबर 2023 में 10 विधेयकों को अपने विचाराधीन रख लिया था। इसके ख़िलाफ़ तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

पीठ ने कहा विधेयकों को लंबित रखना अवैध, राज्यपाल संविधान से चलें, पार्टी से नहीं। माननीय न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल के पास विधेयक रोकने का कोई वीटो पॉवर नहीं है। साथ ही न्यायालय ने रोके गए विधेयकों को पारित घोषित कर दिया।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और कहा कि मोदी सरकार को जरूरत से ज्यादा बहुमत मिलने के बाद लोकतंत्र की हत्या का प्रयास हो रहा है। अनेकों प्रकार से जनता की आवाजों को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। जिस प्रकार से माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा मोदी सरकार की ऐसी कोशिशों पर पानी फेरा जा रहा है वो लोकतंत्र को बचाये रखने की एक उम्मीद है।

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