नैनीताल। हाई कोर्ट नैनीताल ने नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान नैनीताल जिले के लिए जारी फंड के दुरुपयोग के आरोप के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। पूरा मामला साल 2021 से 2023 के बीच का है। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार समेत सीबीआई से जवाब पेश करने को कहा है। साथ में कोर्ट ने तत्कालीन जिलाधिकारी विपक्षी धीराज गर्ब्याल को नोटिस जारी कर उनसे अपना जवाब पेश करने को कहा है।
मामले के अनुसार, नोएडा निवासी संजय गुप्ता ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि साल 2021 से लेकर 2023 तक नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा जिले के लिए जारी सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। उन्होंने इस धन का पब्लिक हित में उपयोग ना कर उसका उपयोग अपने निजी हित के लिए किया गया। शिकायत करने पर पूरे प्रकरण की जांच कैग के द्वारा की गई। कैग ने अपनी रिपोर्ट में माना कि सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है। इस पर उनके द्वारा सरकार को भी शिकायत की और रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग की गई। लेकिन अभी तक सरकार ने कैग की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
जनहित याचिका में पूर्व जिला अधिकारी पर आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने जिले के लिए जारी बजट का दुरुपयोग किया है। जैसे डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड को उन्होंने अपने निजी हितों के लिए उपयोग किया। उपयोग करने के बाद उस भूमि के रेट बढ़ा दिए गए। एससी एसटी की भूमि का स्वरूप बदलकर बेच दी। उनके द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र के लोगों को नियम विरुद्ध जाकर आर्म लाइसेंस दे दिए गए। नैनीताल शहर के सौंदर्यीकरण के नाम पर भी सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। अब सरकार कैग की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।
पूर्व जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल गढ़वाल और हरिद्वार में भी जिलाधिकारी रहे, उनके कार्यकाल के दौरान जिलों में अवैध खनन के मामले चर्चित हुए और खनन माफियाओं ने सुखरो नदी में गोलीबाजी भी की और सिंचाई विभाग के अधिकारियों को धमकाया जिसकी लिखित शिकायत के बावजूद खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने आरोप लगाया कि खनन मामले में भाजपा सरकार ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपयों के राजस्व की हानि करवाई जो केवल और केवल अधिकारियों और नेताओं की जेब में गए। एडवोकेट जगदीश चन्द्र जोशी ने कहा कि कांग्रेस का अवैध खनन के खिलाफ चुप्पी लगा जाना सबसे बड़े खतरे का प्रतीक है।