रुद्रपुर। उत्तराखण्ड में मोदी धामी डबल इंजन सरकार की प्रशासनिक नाकामी के कारण अतिक्रमण हटाने तक के आदेश शासन की बजाय उत्तराखण्ड हाई कोर्ट को करने पड़ रहे हैं। एक बार फिर उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के निर्देश के बाद पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में पीडब्ल्यूडी और एनएच की जमीन पर बने 46 घरों पर ये कार्रवाई की गई है। प्रशासन की टीम एक दर्जन जेसीबी मशीन और पोकलैंड मशीन के साथ पहुंची थी, जिसके बाद 40 घरों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया जिनमें चार से छः घरों का कुछ हिस्सा शेष बच गया है।
इस कार्रवाई के दौरान प्रशासन की तरफ से क्षेत्र धारा 144 लगा दी थी। रूट को डायवर्ट किया था। एक तरफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा रही थी तो वहीं दूसरी तरफ पीडब्ल्यूडी की तरफ से घरों के मलबे तक को उठाना शुरू कर दिया गया।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने आरोप लगाया कि वोट बैंक की खातिर नेता अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके गरीब लोगों की जीवन भर की पूंजी सरकारी भूमि पर निर्माण पर लगवा देते हैं, और बाद में गरीब पूंजी के साथ साथ अपने आशियाने से भी हाथ धो बैठते हैं। ऐसे प्रकरणों में अतिक्रमणकारियों के साथ साथ वो अधिकारी और नेता भी चिन्हित होने चाहिए, जिनकी शह पर ऐसे निर्माण होते हैं और मकानों की कीमत इन नेताओं और अधिकारियों से वसूल कर जिनके आशियाने उजाड़े गए हैं उनमें वितरित किए जाने चाहिए।