नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने एक बार फिर मोदी सरकार को जोर का झटका धीरे से दे दिया है। इस बार मोदी सरकार को जोर का झटका महिलाओं के सम्मान मामले में लगा। मोदी सरकार लगातार महिलाओं के सम्मान की बात तो करती है, मगर उसे धरातल पर उतारने का वक्त आते ही पलट जाती है। महिलाओं से नौकरी में भेदभाव के मामले में शीर्ष अदालत ने 26 फरवरी को मोदी सरकार को चेतावनी दी थी कि मात्र लैंगिक भेदभाव की वजह से यदि तटरक्षक बल में महिलाओं को स्थाई कमीशन नहीं देगी, तो अदालत को हस्तक्षेप करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
शीर्ष अदालत की चेतावनी के बावजूद मोदी सरकार ने तटरक्षक बल में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने की पहल नहीं की। शीर्ष अदालत ने कहा था कि सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन मिल सकता है तो तटरक्षक बल में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने में आनाकानी क्यों?
शीर्ष अदालत ने भारतीय तटरक्षक बल में महिला अधिकारी को स्थाई कमीशन देने के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि न्यायपालिका को ध्वजवाहक बना ही होगा। इस टिप्पणी के साथ शीर्ष न्यायपालिका ने कोस्ट गार्ड अधिकारी प्रियंका त्यागी को फिर से सेवा में बहाल कर दिया है।
प्रियंका त्यागी को तटरक्षक बल में जनरल ड्यूटी ऑफिसर के रूप में सेवा जारी रखने की अंतरिम राहत दे दी गई।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट से यह मामला अपने पास स्थानांतरित किया था।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने माननीय शीर्ष न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए मोदी सरकार को महिला विरोधी बताया और कहा कि किरण नेगी और अंकिता भंडारी को न्याय दिलवाने के नाम पर भाजपा के हर बड़े छोटे नेता का मुंह बंद हो जाता है। दरअसल मोदी सरकार को महिला सम्मान से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है।