रामनगर कंडी मार्ग निर्माण की आवाज फिर हुई बुलंद, भाजपा पर लगे सड़क बंद करवाने के आरोप


कोटद्वार। रामनगर के प्रसिद्ध समाजसेवी पी.सी. जोशी ने कल कोटद्वार में रामनगर कंडी मार्ग के निर्माण के संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हेतु स्वीकार की गई उनकी याचिका के संबंध में एक प्रेस कांफ्रेंस की।

समाजसेवी पी.सी.जोशी ने बताया कि उक्त सड़क नेशनल पार्क बनने से पूर्व की है और जीएमओयू की बसें उक्त मार्ग पर  पहले से चला करती थीं। पी. सी.जोशी ने कहा कि उक्त याचिका में माननीय उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखण्ड सरकार से पूछा है कि क्या रामनगर कंडी रोड कॉर्बेट नेशनल पार्क के बफर जोन से ही गुजरती है कि  सड़क कोर जोन से भी गुजरती है।

पी . सी. जोशी ने कहा कि इस याचिका के साथ यदि कोटद्वार के अन्य नागरिक संगठन उच्चतम न्यायालय में इस सड़क निर्माण के लिए अपने साक्ष्यों और तर्कों के साथ याचिका लगा दें तो उक्त सड़क निर्माण की अनुमति का रास्ता कुछ आसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे माफिया हैं जो इस सड़क का निर्माण नहीं होने देना चाहते हैं, और ऐसे में एनजीओ’ ज के माध्यम से सड़क निर्माण में बाधा उत्पन्न कर देते हैं, जबकि केंद्र सरकार का अध्यादेश भी है कि जनहित में राष्ट्रीय उद्यानों के संबंध में जारी नोटिफिकेशन को बदला भी जा सकता है।

इस अवसर पर उत्तराखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने कहा कि जब तक सरकार की सदइच्छा  ना हो तब तक कोर्ट के आदेश भी पूर्णतः प्रभावी नहीं हो पाते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार यदि वाकई इस सड़क का निर्माण करना चाहती तो पी.सी. जोशी को इतने लंबे संघर्ष की जरूरत ही नहीं पड़ती।  उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार इस सड़क का निर्माण नहीं करना चाहती है, क्योंकि इससे गढ़वाल और कुमाऊं के मूल निवासियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा और बाहर से आए लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार उत्तराखण्ड के मूल निवासियों की हितेषी नहीं है। वह बाहर वालों के हितों के लिए रातों-रात कैबिनेट में नए-नए नियम ले आती है , मगर मूल निवासियों की मांग आज तक जस  की तस है।

अगर रामनगर कंडी मार्ग का वाकई निर्माण करना है तो कोर्ट के साथ-साथ सरकार के साथ संवाद और सड़कों पर उतरना जरूरी है, नहीं तो यह भी अन्य मुद्दों के साथ साथ  सालों साल लटका रहेगा, जैसा की मोटर नगर प्रकरण हुआ और अब कोर्ट जाकर भी इस प्रकरण में कोई फायदा नहीं हो पाया।

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