कोर्ट में खुली मोदी सरकार के बेटी पढ़ाओ दावे की पोल

नई दिल्ली। विज्ञापनों के माध्यम से बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के नारों से मोदी सरकार यह संदेश देने की कोशिश करती है कि वह महिलाओं के हितों की रक्षक है और महिलाओं के उत्थान के लिए तत्पर है। मगर तट रक्षक बल में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने के मामले में मोदी सरकार के रवैये ने माननीय सुप्रीम कोर्ट को हैरान कर दिया है।

इस मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि तट रक्षक बल में महिलाओं को स्थाई कमीशन देना सुनिश्चित करें, अन्यथा सुप्रीम कोर्ट इस बारे में स्वयं ही आदेश पारित कर देगा।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सोमवार को यह टिप्पणी तब की, जब अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमन ने दलील दी कि शॉर्ट सर्विस कमीशन के अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने में कुछ व्यावहारिक दिक्कतें हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि व्यावहारिक दिक्कतों के यह सारे तर्क 2024 में नहीं चल सकते। महिलाओं को अलग नहीं छोड़ा जा सकता। अगर आप नहीं करेंगे, तो इस पर हम कार्यवाही करेंगे। इसलिए हम चाहते हैं कि आप इस पर विचार करें।

पीठ ने केंद्र से इस बारे में लिंग निरपेक्ष नीति लाने को भी कहा। अटॉर्नी जनरल ने पीठ को जानकारी दी कि तटरक्षक बल ने इस मामले में विचार करने के लिए बोर्ड का गठन किया है। पीठ ने कहा कि इस बोर्ड में महिलाओं का होना जरूरी है। पीठ में सुनवाई की अगली तारीख 01 मार्च तय कर दी, क्योंकि सोमवार को सुनवाई पूरी नहीं हो पाई।

शीर्ष कोर्ट भारतीय तटरक्षक बल की अधिकारी प्रियंका त्यागी की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। त्यागी ने तट रक्षक बल में शॉर्ट सर्विस कमीशन से आने वाली महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने की मांग की है। पीठ ने कहा कि, अब समय आ गया है कि तटरक्षक बल महिलाओं को स्थाई कमीशन देने के मामले में नीति बनाये। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता शॉर्ट सर्विस कमिशन की एकमात्र महिला अधिकारी है, जिन्होंने स्थाई कमीशन का विकल्प चुना है। उनके मामले पर विचार क्यों नहीं किया जाना चाहिए? समय आ गया है कि तक्षक बल इस बारे में एक नीति सामने लाए, जो महिलाओं के साथ निष्पक्ष हो।

पिछले सुनवाई में शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि आप नारी शक्ति की बात करते हैं, अब आप इसे यहां दिखायें। आपको महिलाओं के प्रति निष्पक्ष नीति बनानी होगी।

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