वॉशिंगटन। भारत की और से सख्त विरोध और चेतावनियों के बावजूद अमेरिका और ब्रिटेन लगातार कश्मीर मुद्दे में हस्तक्षेप कर रहे हैं। दोनों देशों ने भारत की ओर से तय रेड लाइन को बार-बार पार किया है। भारत के आंतरिक मामलों में पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप और भी बढ़ सकता है। ऐसा मानने की वजह ब्रिटिश और अमेरिकी सैन्यकर्मियों का हालिया गिलगित-बाल्टिस्तान दौरा है।
गिलगित बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का कब्जा है लेकिन भारत इसे अपना हिस्सा मानता रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र में इन दोनों देशों के सैन्यकर्मियों का जाना भारत में बड़े पैमाने पर प्रतिक्रिया के लिए उकसावा है।
स्पुतनिक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद में ब्रिटिश उच्चायुक्त के रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर पॉल हेहर्स्ट ने गुरुवार को पाकिस्तान में यूके डिफेंस के अकाउंट पर अपनी और एक अमेरिकी वायु सेना कर्मी की तस्वीरें पोस्ट की हैं। ये ब्रिटिश अफसरों की भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करने की कोशिश है।
जनवरी में भारतीय विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन के उच्चायुक्त की पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की यात्रा पर ब्रिटिश सरकार के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया था। विदेश मंत्रालय ने यूके के अधिकारियों से कहा था कि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है। ऐसे में भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का ऐसा उल्लंघन स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
बीते साल अक्टूबर में भी भारत ने पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम की पीओके यात्रा पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
भारतीय नौसेना के अनुभवी और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ, कमोडोर (सेवानिवृत्त) शेषाद्रि वासन ने कहा कि भारत को भू-राजनीति में “दो सीमांत खतरे” का सामना करना पड़ा है। भारत सरकार और सैन्य हलकों में यह व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है कि नई दिल्ली के साथ सीमा मतभेदों के कारण चीन एक खतरा है। दूसरी सीमा पर अमेरिका और ब्रिटेन जैसे तथाकथित साझेदार हैं। वे भारत के संबंध में अपने विकल्प खुले रखने के लिए चुपचाप काम कर रहे हैं। वे बढ़ते भारत को रोकने के लिए पाकिस्तान का उपयोग करना चाह रहे हैं।