नैनीताल। नैनीताल उच्च न्यायालय के महानिबंधक के द्वारा जनमत के लिए जारी किये गये विज्ञापन अखबारों में छपने के बाद पूरे प्रदेश में सरगर्मी शुरू हो गई है।
नैनीताल उच्च न्यायालय के निबंधक द्वारा जारी किये गये विज्ञापन के बाद कुमाऊं क्षेत्र के वकील और नेता उच्च न्यायालय को हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में ही उच्च न्यायालय की स्थापना किए जाने पर जोर लगा रहे हैं। उत्तराखण्ड के जाने माने नेता भगत सिंह कोश्यारी ने इस मामले में जनमत संग्रह न कराने को लेकर प्रदेश के मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक लंबा चौड़ा पत्र भी लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि ऐसे तो हर बात में जनमत संग्रह होने लगेगा साथ ही कहा कि गौलापार में मात्र छह फीट चौड़ाई के पेड़ हैं, जबकि हाई कोर्ट पेड़ काटे जाने के कारण इस स्थान को अलविदा कह चुका है।
दरअसल राज्य स्थापना के समय भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने स्वार्थों की पूर्ति हेतु जो छल उत्तराखण्ड की जनता के साथ किया गया था, उसका भूत अब इस तरह के वाकिए पेश कर भारतीय जनता पार्टी के जनाधार को खिसका रहा है। उत्तराखण्ड राज्य स्थापना के बाद से ही पहाड़ों से दूर भागने की पहाड़ी नेताओं की जो दौड़ शुरू हुई उसने नेताओं के साथ साथ जनता को भी मैदानी क्षेत्रों में दौड़ाना शुरू कर दिया। लिहाजा पहाड़ों से पलायन तेजी से हुआ और मैदानी इलाकों की जनसंख्या में अभूतपूर्व इजाफा हुआ। ऐसे में मुकदमों की संख्या भी देहरादून हरिद्वार के आसपास के क्षेत्रों के सबसे ज्यादा हैं, जो कुल मुकदमों के सत्तर प्रतिशत हैं, ऐसे में प्रदेश की आम जनता अपनी सहूलियत के हिसाब से कोर्ट हरिद्वार या देहरादून में चाहती है।
अगर जनमत पर फैसला हुआ तो निश्चित ही हाई कोर्ट नैनीताल से शिफ्ट करने के लिए एक बड़ा जनमत प्राप्त होगा, और अगर जनमत के हिसाब से उच्च न्यायालय कुमाऊं मंडल से खिसक गया तो भाजपा के नेताओं को कुमाऊं की जनता की भारी नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी का मानना है कि इस वजह से बहुमत की जनता को सहूलियत तो मिलेगी मगर नेताओं को क्षेत्रवाद फैलाने का मौका मिलेगा। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने राजधानी और हाई कोर्ट गैरसैंण और द्वारहाट बनाये जाने की वकालत की और कहा कि अगर सरकार पहाड़ में वीआईपी लोगों को सुविधायें उपलब्ध नहीं करा सकती, तो सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिये। गैरसैंण ही इस समस्या का एकमात्र हल है। इससे क्षेत्र विशेष को बढ़ावा देने का आरोप भी खत्म हो जाएगा और शहीदों के सपनों के उत्तराखण्ड की स्थापना हो सकेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि गौलापार हाई कोर्ट हल्द्वानी पलायन कर चुके वकीलों को सूट करता है, आम जनता की कठिनाइयाँ वहाँ कम नहीं होने वाली। पहाड़ में हाई कोर्ट होगा तो पहाड़ का भी विकास होगा जिसके लिए गैरसैंण से मात्र पचास किलोमीटर दूर द्वारहाट सबसे उपयुक्त स्थल है।