कोटद्वार। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने हरेला पर्व के दौरान 15 प्रजातियों के पेड़ों को छोड़कर अन्य प्रजातियों के वृक्षों को प्रतिबंधित सूची से बाहर कर दिया है। उत्तराखण्ड में पीपल, बांज, खैर, देवदार, बिजा साल, बुरांस, शीशम, सागौन, सदन, साल, चीड़, अखरोट, आम और लीची प्रतिबंधित प्रजातियां हैं। इसके अलावा अब जिन प्रजातियों को छूट दी गई है, उसमें मुख्य रूप से कटहल, तुन, सिंबल, आंवला, जामुन, बहेड़ा, काफली, हरड़ और अन्य प्रजाति के पेड़ शामिल हैं। इससे पहले इन पेड़ों को काटने के लिए परमिशन लेनी पड़ती थी, लेकिन अब इन्हें छूट की श्रेणी में डाल दिया गया है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने वन मंत्री के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि आज जब हरेला पर्व में सरकार पेड़ों को बचाने का संदेश दे रही है, उस समय पेड़ों को काटने की छूट देने का आदेश अपने आप में सरकार की नियत नियत कर देता है।
एडवोकेट जोशी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन की सरकार को उत्तराखण्ड के पर्यावरण की कोई चिंता नहीं है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कतिपय कुछ विशेष लोगों को लाभान्वित करने हेतु इस तरह का आदेश दिया गया है, जिससे यह संदेह पैदा होता है कि सरकार खुद ही वन माफियाओं को संरक्षण दे रही है।
और असली हकीकत यह है कि लोगों को जंगल से अपने हक हक के लिए मिलने वाली लकड़ी मिलने में दिक्कतें हो रही है और उधर सरकार इस तरीके के आदेश जारी कर रही है यह बताता है कि भारतीय जनता पार्टी को उत्तराखण्ड की जनता के हितों से कोई लेना देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बतायें कि आखिर वन मंत्री को इस तरह पेड़ काटने की अनुमति देने की आवश्यकता क्यों पड़ी, जबकि पूरे प्रदेश में पेड़ बचाओ आंदोलन चल रहा है।