जानें क्यों हैं चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग परेशान

बिजनेस इनसाइडर ने सैन्य विश्लेषकों के हवाले से लिखा है कि जिनपिंग चीन की अपनी ही सेना के साथ लड़ रहे हैं। वे उन कमांडरों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें वे युद्ध में जाने के लिए असमर्थ मानते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कमांडर युद्ध में जाने की जिनपिंग की इच्छा के खिलाफ खड़े हो रहे हैं।

रिपोर्ट में गेटस्टोन इंस्टीट्यूट के एक सीनियर फेलो और “चाइना इज गोइंग” के लेखक गॉर्डन चांग के हवाले से ये बात कही गई है। चांग का कहना है कि चीनी “सेना पर कंट्रोल हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, और मुझे लगता है कि वह सोच रहे हैं कि उन्हें ऐसे अधिकारियों की जरूरत है जो असल में युद्ध लड़ने के लिए तैयार हों।” उनका मानना है कि चीनी सेना में युद्ध के झमेले में नहीं पड़ने की भावना विकसित हो रही है। चांग ने बताया कि जिनपिंग एक ऐसी सेना का नेतृत्व कर रहे हैं जो युद्ध में जाने को लेकर दुविधा में है।

झटके में नौ वरिष्ठ अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया

जिनपिंग ने साल 2012 में चीन की सत्ता संभाली थी। सत्ता संभालने के साथ ही जिनपिंग का मुख्य एजेंडा चीनी सेना को अमेरिका की तर्ज पर विकसित करने का रहा है। इसको लेकर उन्होंने चीनी सेना में कई सुधार किए, सैन्य-नागरिक सहयोग को बढ़ावा दिया। पिछले साल 29 दिसंबर, 2023 को जिनपिंग ने एक झटके में नौ वरिष्ठ अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया था।

अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट सहित कई जानकारों का मानना है कि जिनपिंग ने सेना में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए ये कदम उठाए और कई अन्य चीनी अधिकारियों को भी अचानक बर्खास्त कर दिया। हालांकि, चांग का कुछ और ही मानना है। उन्होंने कहा, “अगर भ्रष्टाचार मुद्दा होता तो उन सभी को बर्खास्त कर दिया जाता।” उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग संभवतः उन अधिकारियों को हटा रहे हैं जो युद्ध में जाने की इच्छा नहीं दिखा रहे हैं। अपनी बात को पुख्ता करने के लिए उन्होंने चीनी वायु सेना के जनरल लियू याझोउ का जिक्र किया। एशियान्यूज एजेंसी के अनुसार, लियू याझोउ ने चीन को ताइवान पर हमला करने के खिलाफ चेतावनी दी थी। बाद में चीन ने उन्हें फरवरी 2022 में मौत की सजा सुनाई थी।

रिपोर्ट में अमेरिकी राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में चीनी सैन्य मामलों के प्रोफेसर का भी बयान है। सीनियर रिसर्च फेलो जोएल वुथनो का कहना है कि भ्रष्टाचार का जड़ से ख़त्म करना और चीन को युद्ध के लिए तैयार करना एक ही बात है। उन्होंने कहा, “सेना के अधिकारियों को बाहर निकाल फेंकने से संकेत मिलता है कि जिनपिंग अपनी सुधार नीतियों में फेल रहे। वे इस बात से परेशान हैं कि उन्होंने एक दशक से सेना के जवानों और हथियारों पर जो निवेश किया है वह फेल हो रहा है।” वुथनो ने कहा कि जिन नौ सीनियर कमांडरों को निकाला गया वे चीन की रॉकेट फोर्स में शामिल थे। इस फोर्स की किसी भी सैन्य अभियान में महत्वपर्ण भमिका होगी।
चीन के अपने पड़ोसी देशों से रिश्ते लगातार खराब हो रहे हैं। भौगोलिक दृष्टिकोण के कारण भी कई देशों में नेतृत्व का झुकाव चीन की तरफ होने के बावजूद वो भारत की अनदेखी नहीं कर पा रहे हैं, जिससे चीन की भारत को चौतरफा घेरने की नीति बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

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