अच्छे दिन आयें हैं मगर जनता के नहीं, उपजिलाधिकारी ने आखिर पकड़ ही लिया एक डंपर

कोटद्वार। भाजपा राज में अगर अच्छे दिन किसी के आए हैं तो वो हैं खनन माफियाओं के। भाजपा सरकार अखबारों में बड़े बड़े बयान खनन के अवैध कारोबारियों के खिलाफ देते हैं। मगर खनन माफिया विधायकों के साथ अपनी फोटो सोशल मीडिया पर लगा कर अधिकारियों को दबाव में ले आते हैं।

एक वो दिन भी था जब चंद्र मोहन सिंह नेगी ने एक बड़े माफिया को मंच पर बैठने नहीं दिया था, आज मंच को कौन सुशोभित करता है, जनता को तो पता नहीं लगता, मगर अधिकारियों को पता चल जाता है।

कौड़िया चैक पोस्ट पर उप खनिज से भरे वाहन बिना ई ट्रांजिट पास/ ई रवना के धड़ले से कोटद्वार में प्रवेश कर रहे हैं। उपजिलाधिकारी ने उप खनिज से भरे डम्पर को रोक कर जरूरी कागजात मांगे तो चालक के द्वारा कोई भी उप खनिज से संबंधित कागज नहीं दिखाये।

उपजिलाधिकारी ने डम्फर को सीज कर तहसील परिसर में खड़ा कर दिया है।

बिना ई ट्रांजिट पास/ ई रवने के सड़क पर उपखनिज लेकर दौड़ रहे वाहन को उप जिलाधिकारी के द्वारा सीज करने के बाद कौड़िया चैक पोस्ट स्थित सेल टैक्स विभाग  व वन उपज चैक चौकी पर भी सवाल उठने लगे हैं,आखिर बिना कागजातों की गाड़ी को वाणिज्य कर विभाग क्यों  नहीं पकड़ता यह बड़ा सवाल है।

हेलमेट और कागज की चेकिंग में लगे अधिकारी आखिर इन अवैध खनिज निकासी के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं करते, क्योंकि जनता जिसे अपना जनप्रतिनिधि बना कर भेजती है, वो ऐसे लोगों का प्रतिनिधित्व करने लगते हैं। जब कुछ कर दिखाने का दबाव पड़ता है तो एक आध गाड़ी बंद कर दी जाती है। ऐसे ही एक अभियान में कोटद्वार तहसील के पूर्व तहसीलदार को खनन माफिया पीट भी चुके हैं।

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