नैनीताल/देहरादून। मोदी राज में प्रदेश में फर्जीवाड़ों की एक लंबी लिस्ट तैयार हो गई है। मोदी धामी डबल इंजन सरकार खुद को पाक साफ दिखाने के लिए करोड़ों रुपए विज्ञापन में तो खर्च कर देती है, मगर प्रदेश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर खामोशी इख्तियार कर लेती है। प्रदेश में समाज कल्याण का छह सौ करोड़ का घोटाला रहा हो या उद्यान विभाग या ढेंचा बीज घोटाला जिसमें त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद मुख्यमंत्री रहने के दौरान जॉच समिति के आरोपों को नकार गए, जबकि जॉच समिति ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को ढेंचा बीज घोटाले में भ्रष्टाचार में आरोपी माना था या फिर गणेश जोशी और प्रेमचंद अग्रवाल पर लग रहे आरोपों का मामला, भाजपा अपने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की बजाय खामोशी इख्तियार कर लेती है।
अब नैनीताल उच्च न्यायालय का एक आदेश मोदी धामी सरकार के लिए गले की फांस सा बन गया है। उक्त प्रकरण में सरकार ने खुद को पाक साफ दिखाने में लोक निर्माण विभाग के 03 अभियंताओं की भेंट चढ़ा दी है।
मामले में हिंद प्रताप नामक एक कॉन्ट्रेक्टर ने माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल का दरवाजा खटखटाया और आरोप लगाया कि कुछ टेंडरों पर अनियमितता व मिली भगत हुई है, प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने विभागीय सचिव को उक्त प्रकरण पर कार्यवाही करने के निर्देश दिये।
अपर सचिव, लोक निर्माण विभाग, विनीत कुमार की जॉच रिपोर्ट के अनुसार चीफ इंजीनियर पी. एस बृजवाल (तत्कालीन एस.ई., 09 सर्किल, देहरादून), सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर एस.ई. अनिल पांगती व एक्सिक्यूटिव इंजीनियर ई.ई. करण कंडवाल को टेंडरों में अनियमितता प्रकरण में दोषी पाया गया है। शासन ने इन सभी 03 अभियंताओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
उक्त टेंडर इमरान अली नामक एक कॉन्ट्रैक्टर को गलत दस्तावेजों के आधार पर दे दिए गए थे। वहीं उक्त कॉन्ट्रेक्टर ने टेंडर पाने के लिए फर्जी टर्न ओवर रिपोर्ट भी लगा दी थी।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने आरोप लगाया कि डेमोग्राफी चेंज के नाम पर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाली भाजपा सरकार में कौन लोग भ्रष्टाचार से लाभान्वित हो रहे हैं इसके बारे में जनता को जानना चाहिए।